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होलिका दहन
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1 March, 2018
होलिका दहन
होलिका दहन
होली के एक दिन पहले होलिका दहन होती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। होलिका दहन के बाद अगली सुबह को गुलाल और रंगों से लोग सराबोर होने लगते है। लोग मस्ती में फागुआ और गीत गाते हैं। होलिका दहन का रिवाज कई साल से चली आ रही परंपरा का हिस्सा है। जिसके अनुसार होली के एक महीन पहले माघ पूर्णिमा वाले दिन गुलर के पेड़ की टहनी को मोहल्ले के चौराहे के बीच में लगा दिया जाता है। इसके बाद फाल्गुन पूर्णिमा पर लोग मिलकर लकड़ियां एकत्र कर होलिका दहन करते है।
होलिका दहन करने से पहले विधिवत पूजा की जाती है और दहन की शुभ मुहूर्त देखा जाता है फिर होलिका को अग्नि दी जाती है। पूजा के लिए इस दिन जल,रोली, फूल माला,चावल गुड़ और नई पकी फसल के पौधों की बालियां रखें। होलिका दहन के शुभ मुहूर्त के समय चार मालाएं होलिका को अर्पित की जाती है। इसके बाद तीन या सात बार होलिका का परिक्रमा करना चाहिए।
शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा तिथि में प्रदोष काल के दौरान करना चाहिए लेकिन ध्यान रखें कि जब भद्राकाल चल रहा हो तो इस दौरान होलिका दहन नहीं करना चाहिए। भद्राकाल के समय होलिका दहन शुभ नहीं माना जाता है । पंचाग के अनुसार इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 26 मिनट से लेकर 8 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
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